यह याचिका पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) की उत्तर प्रदेश शाखा ने दायर की है।
याचिका में कहा गया है कि योगी आदित्यनाथ ने हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव के बयान का समर्थन किया।
आरोप है कि यह बयान भारत के धर्मनिरपेक्ष संविधान के खिलाफ है।
जस्टिस यादव ने 8 दिसंबर को विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ टिप्पणी की थी।
यह कार्यक्रम हाई कोर्ट बार की लाइब्रेरी हॉल में आयोजित हुआ था।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट से रिपोर्ट मांगी है।
याचिका में दावा किया गया कि मुख्यमंत्री का यह समर्थन उनके संवैधानिक पद की शपथ का उल्लंघन है।
इसमें कहा गया कि योगी आदित्यनाथ ने संविधान के प्रति अपनी निष्ठा तोड़ी है।
याचिका में मुख्यमंत्री को पद से हटाने की मांग की गई है।
योगी आदित्यनाथ ने 14 दिसंबर को मुंबई में विश्व हिंदू आर्थिक मंच 2024 में यह बयान दिया।
उन्होंने विपक्ष द्वारा जस्टिस यादव के खिलाफ महाभियोग की मांग की आलोचना की।
मुख्यमंत्री ने समान नागरिक संहिता (UCC) की आवश्यकता पर जोर दिया।
जस्टिस यादव ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के सामने अपनी बात रखी।
जज ने कहा कि उन्हें उनके बयान का संदर्भ समझ नहीं आया।
कॉलेजियम ने जज को अपने पद की गरिमा बनाए रखने की सलाह दी।
याचिका के अनुसार, मुख्यमंत्री के बयान ने उनकी संवैधानिक जिम्मेदारी को कमतर किया।
PUCL ने इसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए खतरनाक बताया।
सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले में उच्च स्तर पर जांच कर रहा है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि मुख्यमंत्री के बयान से सांप्रदायिक सद्भावना को नुकसान पहुंचा है।
मामला संवेदनशील है और न्यायालय ने जल्द सुनवाई का आश्वासन दिया है।