उन्होंने कहा कि जनता अपने जनप्रतिनिधियों को सोचने पर मजबूर करेगी कि उन्हें संसद में क्यों भेजा गया।
धनखड़ ने कहा कि किसी भी लोकतंत्र की सफलता के लिए संवाद और जिम्मेदारी का साथ होना जरूरी है।
उपराष्ट्रपति ने उम्मीद जताई कि लोग इस स्थिति पर लिखेंगे और बदलाव लाएंगे।
धनखड़ ने यह भी कहा कि कृषि ग्रामीण विकास की रीढ़ है।
भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लिए लोगों की आय को आठ गुना बढ़ाना होगा।
गांवों की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि कृषि समुदायों को बाजार से जोड़ना होगा।
उन्होंने कृषि क्षेत्र को आर्थिक विकास का इंजन बनाने पर जोर दिया।
धनखड़ ने चौधरी चरण सिंह अवार्ड्स – 2024 के विजेताओं को सम्मानित किया।
यह पुरस्कार कृषि, ग्रामीण विकास और पत्रकारिता में योगदान के लिए दिए गए।
वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी, “वाटरमैन ऑफ इंडिया” राजेंद्र सिंह, फिरोज हुसैन और प्रीतम सिंह को सम्मानित किया गया।
इस आयोजन में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और जयंत चौधरी भी उपस्थित थे।
धर्मेंद्र प्रधान ने चौधरी चरण सिंह की विरासत की सराहना की।
प्रधान ने कहा कि चरण सिंह के विचार किसानों और ग्रामीण समुदायों के उत्थान में आज भी प्रेरणादायक हैं।
जयंत चौधरी ने कहा कि मोदी सरकार की नीतियां चरण सिंह की दूरदृष्टि को दर्शाती हैं।
उन्होंने कहा कि किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य, कर्ज माफी और भूमि सुधार पर चरण सिंह के विचार आज भी प्रासंगिक हैं।
कार्यक्रम का आयोजन किसान ट्रस्ट द्वारा किया गया।
धनखड़ ने कहा कि सरकारों को कृषि क्षेत्र को प्राथमिकता देनी चाहिए।
उन्होंने कृषि उत्पादों के सबसे बड़े बाजार के रूप में भारत की संभावनाओं का जिक्र किया।
उपराष्ट्रपति ने ग्रामीण क्षेत्रों को विकसित कर भारत को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने का आह्वान किया।