जाजपुर: ओडिशा के जाजपुर जिले के एक 60 वर्षीय व्यक्ति, जिन्हें अब ‘ट्री मैन’ के नाम से जाना जाता है, पिछले 40 वर्षों से अथक परिश्रम कर रहे हैं और लगभग एक लाख पेड़ लगाकर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को उलटने के मिशन पर हैं।
अपनी सीमित संसाधनों और कठिन जीवन के बावजूद, उनका यह असाधारण प्रयास पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनके गहरे समर्पण का प्रमाण है।

काल्पनिक नाम] ने कम उम्र में ही पेड़ों के महत्व को समझ लिया था। उन्होंने देखा कि कैसे वनों की कटाई और पर्यावरण का क्षरण उनके आसपास के वातावरण को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। इसी উপলব্ধি के साथ, उन्होंने अकेले ही पेड़ लगाने और छोटे-छोटे वन बनाने का संकल्प लिया।
उन्होंने अपनी यात्रा एक छोटे से भूखंड से शुरू की और धीरे-धीरे अपने प्रयासों का विस्तार करते गए। उन्होंने बंजर भूमि और खाली पड़ी जगहों पर पेड़ लगाए, उन्हें पोषित किया और उनकी देखभाल की। उनके अथक परिश्रम और लगन का ही परिणाम है कि आज उनके लगाए हुए पेड़ हरे-भरे जंगलों में तब्दील हो गए हैं।
उनकी इस पहल को शुरुआत में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। लोगों ने उनके प्रयासों को संदेह की दृष्टि से देखा और कई बार उन्हें उपहास का भी सामना करना पड़ा। हालांकि, उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य पर दृढ़ रहे।
धीरे-धीरे, उनके काम को पहचान मिलने लगी और स्थानीय समुदाय भी उनके इस नेक कार्य में शामिल होने लगा। आज, उनके द्वारा बनाए गए वन न केवल पर्यावरण को स्वच्छ और हरा-भरा रखने में मदद कर रहे हैं, बल्कि वे वन्यजीवों के लिए भी एक सुरक्षित आश्रय प्रदान कर रहे हैं।
उनकी इस असाधारण उपलब्धि के लिए उन्हें कई स्थानीय और क्षेत्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। हालांकि, उनके लिए सबसे बड़ा पुरस्कार यह है कि वे अपनी आंखों के सामने अपने लगाए हुए पेड़ों को बढ़ते हुए और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डालते हुए देख रहे हैं।
‘ट्री मैन’ की कहानी हम सभी के लिए एक प्रेरणा है कि यदि दृढ़ संकल्प और लगन हो तो एक व्यक्ति भी पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कितना बड़ा बदलाव ला सकता है। उनका जीवन हमें सिखाता है कि हमें अपने ग्रह की देखभाल करनी चाहिए और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।