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एक नए अध्ययन से पता चला है कि लिथियम खनन से आसपास के पानी में लिथियम, रुबिडियम और सीज़ियम जैसे तत्वों की मात्रा काफी बढ़ जाती है।

हालांकि, सामान्य प्रदूषक कम मात्रा में पाए गए हैं।

यह अध्ययन लिथियम खनन के पर्यावरण पर पड़ने वाले गंभीर प्रभावों को उजागर करता है। लिथियम का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में बैटरी बनाने के लिए किया जाता है। बढ़ती मांग के कारण लिथियम खनन तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन, इस खनन से पानी की गुणवत्ता बिगड़ने, मिट्टी के क्षरण और जैव विविधता को नुकसान पहुंचने जैसी कई समस्याएं पैदा हो रही हैं। अध्ययन में कहा गया है कि लिथियम खनन से निकलने वाले रसायन पानी में मिलकर मछलियों और अन्य जलजीवों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा, ये रसायन मिट्टी में जाकर फसलों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। यह खबर क्यों महत्वपूर्ण है? यह खबर इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें लिथियम खनन के पर्यावरणीय प्रभावों के बारे में जागरूक करती है। हमें इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि बढ़ती ऊर्जा की मांग को पूरा करने के लिए हम पर्यावरण को किस तरह से नुकसान पहुंचा रहे हैं।

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