जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ महीनों में टारगेटेड किलिंग की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। पिछले एक महीने में अब तक 9 लोगों की टारगेटेड किलिंग की जा चुकी है। इसमें आतंकियों ने खासतौर पर प्रवासी मजदूरों, कश्मीरी पंडितों और ऑफ-ड्यूटी पुलिसकर्मियों को निशाना बनाया है।कश्मीर में हो रही इन टारगेटेड किलिंग के पीछे पाकिस्तान का हाथ माना जा रहा है, जो स्थानीय आतंकियों को हथियारों और पैसे की मदद देकर घाटी में अशांति फैलाने के प्लान पर काम कर रहा है।
क्या है टारगेटेड किलिंग का पाकिस्तानी ‘ऑपरेशन रेड वेव’
कश्मीर में इस साल जनवरी से अब तक 16 लोगों की टारगेटेड किलिंग हो चुकी है। टारगेटेड किलिंग का मतलब होता है कि कुछ खास व्यक्तियों को टारगेट बनाकर उनकी हत्या करना। कश्मीर में पिछले कुछ महीनों के दौरान आतंकियों ने कश्मीरी पंडितों और प्रवासी मजदूरों को ऐसे ही निशाना बनाकर मारा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान कश्मीर में टारगेटेड किलिंग के लिए ऑपरेशन रेड वेव चला रहा है। इससे पहले पाकिस्तान ने कश्मीर में आतंकवाद फैलाने के लिए 1980-90 के दशक में ऑपरेशन टुपाक या टोपाक चलाया था। कश्मीरी पंडितों पर हुए हालिया हमलों ने 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों पर बड़े पैमाने पर हुए हमलों और उन्हें घाटी छोड़ने पर मजूबर किए जाने की यादें ताजा कर दी हैं।रिपोर्ट्स के मुताबिक, 90 के दशक की तरह ही इस बार भी इन घटनाओं के पीछे पाक खुफिया एजेंसी ISI का हाथ है, जिसने घाटी में अशांति फैलाने के लिए कश्मीरी पंडितों की हिट-लिस्ट तैयार की है।
इस लिस्ट में हाल के वर्षों में कश्मीर लौटने वाले या 1990 के दशक में कश्मीर में रह जाने वाले कश्मीरी पंडित शामिल हैं। माना जा रहा है कि ISI की इसी हिट-लिस्ट के तहत इस साल 12 मई को आतंकियों ने राहुल भट्ट और पिछले साल प्रमुख बिजनेसमैन माखन लाल बिंद्रू की हत्या की थी, ये दोनों कश्मीरी पंडित थे।
खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, टारगेटेड किलिंग के लिए पाकिस्तान ऐसे स्थानीय कश्मीरी युवकों का इस्तेमाल कर रहा है, जिनका पहले से कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। इन युवकों के जरिए टारगेटेड किलिंग करवाने से पाकिस्तान में बैठे मास्टरमाइंड आसानी से इसे स्थानीय मामला कहकर इसमें उनके शामिल होने से पल्ला झाड़ सकते हैं।
Source : Dainik Bhaskar