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सुप्रीम कोर्ट का फैसला: आरक्षण न देने के राज्य के फैसले के पीछे ठोस आंकड़े होने चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि राज्य सरकारें किसी भी पद पर आरक्षण न देने का फैसला नहीं ले सकती हैं, जब तक कि उनके पास ऐसा करने के लिए ठोस आंकड़े और तर्क न हों।

कोर्ट ने कहा कि अगर किसी सरकारी नौकरी के लिए विज्ञापन में यह नहीं बताया गया है कि कितने पदों पर भर्ती होनी है, तो वह विज्ञापन अवैध है। क्योंकि इसमें पारदर्शिता का अभाव है।

कोर्ट ने कहा कि आरक्षण एक संवैधानिक अधिकार है और इसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता। राज्य सरकारें आरक्षण देने या न देने का फैसला लेने से पहले सभी पहलुओं पर विचार करें।

यह फैसला उन सभी लोगों के लिए एक बड़ी जीत है जो आरक्षण का लाभ उठाना चाहते हैं। यह फैसला यह भी सुनिश्चित करेगा कि भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष हो।

यह फैसला क्यों महत्वपूर्ण है? यह फैसला आरक्षण के अधिकार को मजबूत करता है। यह सुनिश्चित करेगा कि आरक्षण का लाभ उठाने के लिए लोगों को किसी भी तरह की बाधा का सामना न करना पड़े। यह फैसला भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने में भी मदद करेगा।

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