उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बीजेपी के गमलियेल हेम्ब्रम को 39,791 वोटों के बड़े अंतर से हराया। जीत के बाद सोरेन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर संदेश दिया, “झारखंड ने जीत हासिल की।”
मुख्य बातें:
- सोरेन की जीत: बरहेट सीट से तीसरी बार जीत दर्ज करते हुए हेमंत सोरेन ने अपने प्रतिद्वंदियों को कड़ी शिकस्त दी।
- बीजेपी का अभियान: बीजेपी ने “माटी, बेटी, रोटी” जैसे मुद्दों पर जोर दिया, लेकिन सोरेन की बढ़ती लोकप्रियता के आगे टिक नहीं पाई।
- ‘अबुआ राज, अबुआ सरकार’: सोरेन ने कहा कि झारखंड अब ‘अपना राज्य, अपनी सरकार’ की दिशा में आगे बढ़ेगा।
- महागठबंधन की सफलता: सोरेन ने इंडिया गठबंधन की सफलता को लोकतंत्र की परीक्षा में पास होना बताया।
- बरहेट की अहमियत: बरहेट, जो अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षित सीट है, झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) का गढ़ रहा है।
- 2019 का प्रदर्शन: 2019 के चुनावों में सोरेन ने 25,740 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी।
- वोटिंग प्रतिशत: इस बार बरहेट में 69.05% मतदान हुआ, जो मतदाताओं की बढ़ती भागीदारी को दिखाता है।
- सोरेन का राजनीतिक अनुभव: सोरेन 2014 से बरहेट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। 2009 में उन्होंने दुमका सीट जीती थी।
- बीजेपी का फोकस: बीजेपी ने भ्रष्टाचार और कथित बांग्लादेशी घुसपैठ जैसे मुद्दों को उठाया, लेकिन जनता ने इन्हें नकार दिया।
- भ्रष्टाचार आरोप: हेमंत सोरेन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, लेकिन उनकी लोकप्रियता पर इसका खास असर नहीं पड़ा।
झारखंड की राजनीति में सोरेन की भूमिका:
हेमंत सोरेन ने 2009 से राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई है। वे झारखंड के उपमुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं।
बरहेट की जनता का समर्थन:
बरहेट के लोगों ने एक बार फिर सोरेन पर भरोसा जताया। उनकी जीत से झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थिति और मजबूत हुई है।