उन पर झूठे एसटी सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी प्राप्त करने का गंभीर आरोप लगा था।
राज्य कैबिनेट की हाल ही में हुई बैठक में इस कार्रवाई के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। यह मामला तब सामने आया जब एक जांच में पाया गया कि कानु राम नाग के पास जो एसटी सर्टिफिकेट था, वह फर्जी था।
क्या हैं आरोप?
कानु राम नाग पर आरोप है कि उन्होंने अनुसूचित जनजाति का झूठा सर्टिफिकेट बनवाकर सरकारी नौकरी हासिल की थी। इस तरह उन्होंने आरक्षण के नियमों का उल्लंघन किया है।
क्यों हुई बर्खास्तगी?
- फर्जी दस्तावेज: झूठे सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी प्राप्त करना एक गंभीर अपराध है।
- आरक्षण का दुरुपयोग: इस तरह की कार्रवाई से आरक्षण के उद्देश्य की अवहेलना होती है।
- जनता का विश्वास: इस तरह के मामलों से सरकारी सेवाओं में भ्रष्टाचार और भरोसे की कमी बढ़ती है।
क्या है आगे की कार्रवाई?
अब कानु राम नाग के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उनके खिलाफ धोखाधड़ी और अन्य संबंधित धाराओं में मामला दर्ज किया जा सकता है।