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कुतुब मीनार पर सुनवाई:ASI ने हिंदू-जैन मंदिर बनाने का विरोध किया; कहा- धरोहर की पहचान बदली नहीं जा सकती

कुतुब मीनार में पूजा के अधिकार की याचिका पर दिल्ली के साकेत कोर्ट में आज सुनवाई होनी है। हालांकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इस याचिका का विरोध करते हुए कहा-कुतुब मीनार पूजा का स्थान नहीं है और इसकी मौजूदा स्थिति को बदला नहीं जा सकता। एएसआई ने कथित तौर पर मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए दायर की गई इस याचिका का विरोध किया है।

इमाम का आरोप ASI ने नमाज भी बंद करवा दी
इससे पहले ही मीनार की मस्जिद के इमाम शेर मोहम्मद ने आरोप लगाया है कि ASI ने 13 मई से नमाज पढ़ना भी बंद करवा दिया है। मीनार के मेन गेट के दायीं ओर बनी मुगलकालीन छोटी मस्जिद में नमाज होती थी। 2016 में यहां दोबारा नमाज शुरू हुई थी। शुरुआत में यहां 4-5 लोग नमाज पढ़ते थे लेकिन धीरे-धीरे इनकी संख्या 40 से 50 तक पहुंच गई थी।

कुतुब मीनार की खुदाई पर अभी कोई फैसला नहीं
संस्कृति सचिव गोविंद मोहन और एएसआई अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने पिछले हफ्ते साइट का दौरा किया, जबकि अधिकारियों ने कहा कि यह दौरा नियमित था। केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि कुतुब मीनार में खुदाई पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

ASI का जवाब- पूजा का अधिकार नहीं दे सकते
कोर्ट में दाखिल याचिका पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने अपना जवाब साकेत कोर्ट में दाखिल किया है। जिसमें कहा गया है कि हिंदू पक्ष की याचिकाएं कानूनी तौर पर सही नहीं हैं। पुराने मंदिर को तोड़कर कुतुब मीनार परिसर बनाना ऐतिहासिक तथ्य का मामला है। कुतुब मीनार को 1914 से संरक्षित स्मारक का दर्जा मिला है। उसकी पहचान बदली नहीं जा सकती और न ही अब वहां पूजा की अनुमति दी जा सकती है। संरक्षित होने के समय से यहां कभी पूजा नहीं हुई है।

यह है पूरा मामला मामला तब उठा जब यह कहा गया कि कुतुब मीनार परिसर में बनी कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद को एक मंदिर को तोड़कर बनाया गया था। हिंदू पक्ष ने 120 साल पुरानी इसी मंदिर की बहाली की मांग की गई थी। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि 1198 में मुगल सम्राट कुतुब-दीन-ऐबक के शासन में लगभग 27 हिंदू और जैन मंदिरों को अपवित्र और क्षतिग्रस्त कर दिया गया था और उन मंदिरों के स्थान पर इस मस्जिद को बनाया गया था।

Source : Dainik Bhaskar

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