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कोलकाता: भारत में एक नए मधुमक्खी शिकारी के प्रवेश ने पश्चिम बंगाल के मधुमक्खी पालकों को चिंता में डाल दिया है।

छोटा मधुमक्खी बीटल (Small Hive Beetle), जो मधुमक्खी कॉलोनियों के लिए एक गंभीर खतरा है, राज्य में पाया गया है, जिससे मधुमक्खी पालन उद्योग पर संभावित विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, मादा ततैया मधुमक्खी के छत्ते के छेदों में प्रवेश करती है, वहां अंडे देती है और उन्हें हैच करती है, जिससे ऐसे लार्वा पैदा होते हैं जो मधुमक्खी के छत्ते को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। ये लार्वा शहद, पराग और मधुमक्खी के ब्रूड खाते हैं, जिससे कॉलोनी कमजोर हो जाती है और अंततः नष्ट हो जाती है।

पश्चिम बंगाल, जो मधुमक्खी पालन के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है, इस नए खतरे से चिंतित है। राज्य के मधुमक्खी पालक पहले से ही विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जिनमें कीटनाशकों का उपयोग, आवास का नुकसान और जलवायु परिवर्तन शामिल हैं। छोटे मधुमक्खी बीटल का आगमन इन समस्याओं को और बढ़ा सकता है।

राज्य के कृषि विभाग ने मधुमक्खी पालकों को इस नए कीट के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इससे निपटने के लिए आवश्यक कदम उठाने की सलाह दी है। इसमें छत्तों की नियमित निगरानी, संक्रमित छत्तों को अलग करना और उचित स्वच्छता बनाए रखना शामिल है।

मधुमक्खी पालन न केवल शहद उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह कृषि में परागण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मधुमक्खी कॉलोनियों का नुकसान खाद्य सुरक्षा और जैव विविधता के लिए गंभीर परिणाम पैदा कर सकता है।

वैज्ञानिक और मधुमक्खी पालन विशेषज्ञ इस कीट के प्रसार को नियंत्रित करने और मधुमक्खी कॉलोनियों की रक्षा करने के लिए समाधान खोजने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। हालांकि, छोटे मधुमक्खी बीटल का भारत में प्रवेश मधुमक्खी पालन उद्योग के लिए एक नई चुनौती पेश करता है, जिसके लिए तत्काल और प्रभावी कार्रवाई की आवश्यकता है।

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