संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सदस्यता पर भारत के साथ दुनिया, पाकिस्तान क्यों कर रहा विरोध? समझें
संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक इस समय न्यूयॉर्क में चल रही है जहां भारत समेत जी4 के देशों ने सुरक्षा परिषद में सुधार का मुद्दा पुरजोर तरीके से उठाया है। जी4 ने सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता देने की मांग की है और चेतावनी भी दी है। इस बीच ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, पुर्तगाल ने तो खुलकर भारत की दावेदारी का समर्थन किया है। ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेन्नी वांग ने कहा कि उनका देश भारत और जापान दोनों को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाए जाने का समर्थन करता है। इससे पहले रूस भी खुलकर भारत समर्थन कर चुका है। एक तरफ जहां भारत के साथ दुनिया के ज्यादातर देश खड़े हैं, वहीं हमारा पड़ोसी पाकिस्तान इसका जोरदार तरीके से विरोध कर रहा है।
पाकिस्तान को उसकी इस कोशिश में चीन का भी समर्थन मिल रहा है। पाकिस्तान भारत को सुरक्षा परिषद का स्थायी बनाने का लगातार विरोध कर रहा है। उसका कहना है कि सुरक्षा परिषद के विस्तार की कोई जरूरत नहीं है। पाकिस्तान ने बार-बार जोर देकर कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों को दो या 5 साल के लिए ही बनाया जाए। पाकिस्तान के इस मांग पर सुरक्षा परिषद में विचार चल रहा है। पाकिस्तान इस आधार भारत की दावेदारी का विरोध कर रहा है, क्योंकि नई दिल्ली ने कथित रूप से सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन किया है।
भारत को कितने देशों के साथ की जरूरत?
पिछले दिनों आई एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत को यूएन चार्टर में दो तिहाई बहुमत की कमी है जहां अमेरिका भी खुलकर भारत का समर्थन नहीं कर रहा है। पाकिस्तान का दावा है कि भारत सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने के लिए मानक पूरा नहीं करता है। भारत को अगर स्थायी सदस्य बनना है तो उसे कम से कम 129 सदस्य देशों की जरूरत होगी। वहीं सूत्रों का दावा है कि भारत को इसका आधा समर्थन भी अभी नहीं मिला है। आलम यह है कि पाकिस्तान के रुख को अरब लीग और अफ्रीकी यूनियन के देशों का भी समर्थन मिल रहा है।
पाकिस्तान का कहना है कि सभी यूएन सदस्य देशों के सहमति की जरूरत होगी ताकि लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध को दूर किया जा सके। पाकिस्तान को डर सता रहा है कि अगर भारत सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बना तो उसके लिए मुसीबत पैदा हो जाएगी। बता दें कि सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग फरवरी 2009 में शुरू हुई थी। सभी सदस्य देशों ने इस पर चर्चा शुरू की थी। सदस्य देशों में वीटो, क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व, आकार पर चर्चा हुई थी। भारत ने जी4 गुट बनाया है जिसमें ब्राजील, जर्मनी और जापान भी शामिल हैं।