अमरावती: आमतौर पर भगवान राम, उनकी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण की मूर्तियों में भगवान हनुमान उनके चरणों में दिखाई देते हैं, लेकिन महाराष्ट्र के अमरावती जिले के विदर्भ क्षेत्र में एक अलग रूप में भगवान राम की मूर्ति देखी जा सकती है।
इस मूर्ति में भगवान राम वनवासी के रूप में, पीले शरीर, बाएं हाथ में धनुष और दूसरे हाथ में तीर लिए हुए हैं।

यह अनोखी मूर्ति विदर्भ महारोगी सेवा मंडल में स्थापित है, जिसे सात दशक पहले अमरावती शहर में पद्म पुरस्कार विजेता डॉ. शिवाजीराव पटवर्धन ने कुष्ठ रोगियों के कल्याण के लिए स्थापित किया था। 1956 में संत तुकडोजी महाराज ने इस मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की थी।
यह मूर्ति घने जंगल से घिरे एक शुष्क क्षेत्र में मूर्तिकार इंगले द्वारा एक ही पत्थर से उकेरी गई थी। तपोवन के दस्तावेजों में इंगले का ऐसा ही उल्लेख मिलता है। हालांकि, इंगले का पूरा नाम क्या था और वे कहां से थे, यह स्पष्ट नहीं है। वनवासी के रूप में पतले शरीर और दीप्तिमान मुद्रा वाली यह मूर्ति बेहद आकर्षक है।
इस मूर्ति का उद्घाटन 1957 में तपोवन संस्थान में तत्कालीन उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री डॉ. पंजाबराव देशमुख, डॉ. शिवाजीराव पटवर्धन और इंगले की उपस्थिति में किया गया था। यह मूर्ति भगवान राम के एक अलग रूप को दर्शाती है और इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है।