
राज्य हाईकोर्ट ने पहले इस दिन बिजली कटौती पर रोक लगा दी थी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए सरकार को बिजली आपूर्ति प्रबंधन का अधिकार दिया है।
क्या था मामला?
रामनवमी के अवसर पर झारखंड के कई जिलों में प्रशासन ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए एहतियातन बिजली आपूर्ति को नियंत्रित करने का फैसला किया था। लेकिन इस फैसले के खिलाफ कई संगठनों और नागरिकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इसे धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ बताया था। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बिजली कटौती पर रोक लगा दी थी।
सुप्रीम कोर्ट का रुख
राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सरकार का तर्क था कि संवेदनशील इलाकों में बिजली कटौती जरूरी है ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके। सरकार ने यह भी कहा कि यह फैसला कानून-व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए लिया गया है और किसी भी धार्मिक आयोजन को बाधित करने का इरादा नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की दलीलों को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट के आदेश को बदल दिया और राज्य प्रशासन को स्थिति के अनुसार बिजली कटौती का निर्णय लेने की अनुमति दी।
विपक्ष और जनता की प्रतिक्रिया
इस फैसले के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। विपक्षी दलों ने इसे धार्मिक आयोजनों में हस्तक्षेप बताया, जबकि सरकार का कहना है कि यह फैसला सुरक्षा के दृष्टिकोण से लिया गया है।
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस फैसले को कैसे लागू करता है और जनता की प्रतिक्रिया आगे कैसी रहती है।