दहेज की मांग के बिना भी पति के खिलाफ क्रूरता का आरोप लगाया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट.
सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि पति के खिलाफ क्रूरता का आरोप लगाने के लिए दहेज की मांग का होना जरूरी नहीं है।

अदालत ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498ए क्रूरता को खुद में एक अपराध मानती है, और दहेज की मांग के बिना भी इस कानून के तहत पतियों पर मुकदमा चलाया जा सकता है।
यह फैसला क्यों महत्वपूर्ण है?
यह फैसला उन महिलाओं के लिए एक बड़ी राहत है जो दहेज की मांग के बिना भी अपने पतियों द्वारा की जाने वाली क्रूरता का शिकार होती हैं। अब वे बिना किसी डर के अपने पतियों के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकती हैं।
क्या है धारा 498ए?
आईपीसी की धारा 498ए के तहत अगर कोई पति या उसके रिश्तेदार किसी महिला के साथ क्रूरता करते हैं, तो उन्हें 3 साल तक की कैद और जुर्माने की सजा हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला:
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि क्रूरता में सिर्फ दहेज की मांग ही शामिल नहीं है, बल्कि शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न भी शामिल है। अगर कोई पति अपनी पत्नी के साथ किसी भी तरह की क्रूरता करता है, तो उसके खिलाफ धारा 498ए के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।
यह खबर हमें क्या बताती है?
यह खबर हमें बताती है कि दहेज प्रथा अभी भी हमारे समाज में व्याप्त है और महिलाओं को इसके खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत है। यह खबर हमें यह भी बताती है कि कानून महिलाओं के साथ है और उन्हें न्याय दिलाने के लिए तैयार है।