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बच्चों में मोटापे के लिए सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स जिम्मेदार, बोले- इन पर जल्द रोक लगाए सरकार

सोशल मीडिया का असर बच्चों के स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है। यह दावा ऑस्ट्रिया के विएना स्थित मेडिकल यूनिवर्सिटी के हेल्थ रिसर्चर्स ने किया है। उनका कहना है कि अगर बच्चे जंक फूड को ज्यादा पसंद करते हैं, तो इसके लिए सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर जिम्मेदार हो सकते हैं। सोशल मीडिया पर लोकप्रिय लोगों के तीन-चौथाई पोस्ट जंक फूड से संबंधित हैं। इसका सीधा असर बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।

इन्फ्लुएंसर्स के 75% पोस्ट खाने-पीने की चीजों को लेकर
रिसर्चर्स ने 13 साल तक के बच्चों में लोकप्रिय जर्मनी के सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स की पोस्ट का एनालिसिस किया। इन इन्फ्लुएंसर्स के सोशल मीडिया में 3.5 करोड़ से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। रिसर्चर्स ने पाया कि इन्फ्लुएंसर्स के 75% पोस्ट खाने-पीने की चीजों को लेकर है। इन पोस्ट में नमक, वसा या चीनी से भरपूर उत्पाद थे, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।

सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के खाने-पीने के कंटेंट पर रोक लगे
रिसर्चर्स का कहना है कि ये बच्चों की खाने की हैबिट को प्रभावित कर उन्हें मोटापे का शिकार बना रहे हैं। रिसर्चर्स ने कहा कि बच्चों के मोटापे से निपटने के लिए सरकारों को सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के खाने-पीने के कंटेंट पर रोक लगाना चाहिए।

रिसर्च पेपर की लेखिका डॉ. मारिया वाकोलबिंग ने कहा कि सरकारों को बच्चों के मोटापे की बढ़ती समस्या को दूर करने में मदद करनी चाहिए। इसके लिए इन्फ्लुएंसर्स पर कार्रवाई करने की जरूरत है।

6 जर्मन-भाषी इन्फ्लुएंसर्स के 364 पोस्ट का एनालिसिस
ऑस्ट्रियाई विशेषज्ञों ने छह जर्मन-भाषी इन्फ्लुएंसर्स के फॉलोअर्स और उनके 364 पोस्ट का एनालिसिस किया। इनमें कुल 13 घंटे की वीडियो फुटेज शामिल हैं। रिसर्च में पता चला कि 409 प्रकार के उत्पाद के बारे में सामग्री पोस्ट की गई। 13 साल से कम उम्र के बच्चों में लोकप्रिय टिकटॉक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब के ये इन्फ्लुएंसर्स जंक फूड के अलावा चॉकलेट और मिठाई जैसे उत्पाद को भी प्रोत्साहित करते हैं।

SOURCE-DAINIK BHASKAR

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