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दिल्ली मेरठ के बीच जल्द दौड़ने वाली रैपिड ट्रेन ने बुलेट ट्रेन को छोड़ा पीछे

वडोदरा (गुजरात) दिल्ली मेरठ कारिडोर पर दुहाई से साहिबाबाद के बीच कुछ ही माह में दौड़ने वाली छह कोच की रैपिड ट्रेन महज नौ माह में तैयार की गई है। खास बात यह भी कि रैपिड ट्रेन बुलेट ट्रेन से पहले बुलेट ट्रेन के ट्रैक पर ही दौड़ेगी। इसके लिए भी ब्लास्टलेस ट्रेक बिछाया जा रहा है। इसमें दिलचस्प बात यह भी बै कि बुलेट ट्रेन अपने तय लक्ष्य से जहाँ बहुत पीछे चल रही है, वहीं रैपिड ट्रेन समय से पहले दौड़ पड़ेगी।

मालूम हो कि गुजरात के सावली में बन रही रैपिड ट्रेन का पहला ट्रेन सेट शनिवार को एनसीआर परिवहन निगम को सौंपा जाएगा। जानकारी के मुताबिक मुम्बई से अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन की नींव सितंबर 2018 में रखी गई थी। 2022 में इसका परिचालन शुरू होने का लक्ष्य था। लेकिन अभी काम चल ही रहा है।वहीं, दूसरी तरफ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) की नींव मार्च 2019 में रखी गई थी और प्राथमिकता खंड पर मार्च 2023 से चलाने का लक्ष्य रखा गया था। इस ट्रैक का काम करीब- करीब पूरा हो गया है। बहुत जल्द ट्रायल भी शुरू हो जाएगा।

एनसीआर परिवहन निगम के अधिकारी बताते हैं कि रैपिड ट्रेन की स्पीड 180 किमी प्रति घंटे तक है। इसीलिए सुरक्षा की ²ष्टि से इसका ट्रैक भी बुलेट ट्रेन वाला ही बिछाया गया है। इस ट्रैक पर सीमेंटेड स्लैब स्ट्रक्चर स्थापित किया गया है। इससे ट्रेन कभी पटरी से नहीं उतरेगी। रैपिड ट्रेन की सुरक्षा व डि•ााइन के लिए यूरोपियन मानदंडों का पालन किया जा रहा है।निगम के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) पुनीत वत्स बताते हैं कि आरआरटीएस की बाहरी संरचना की प्रेरणा दिल्ली के लोटस टैम्पल से ली गई है। इस खूबसूरत विरासत स्थल ने इंजीनियरों और डिजाइनरों को यात्री अनुभव को समृद्ध करने और ऊर्जा की खपत कम करने के लिए प्रकाश और तापमान नियंत्रण प्रणाली बनाने के लिए प्रेरित किया।आरआरटीएस किसी भी दुर्घटना से बचने की उच्चतम योग्यता प्रदान करता है। आग लगने की स्थिति में, अग्नि स्त्रोतों का समय पर पता लगाने और रिपोर्ट करने के लिए प्रौद्योगिकी के साथ संयुक्त उपयुक्त सामग्रियों का उपयोग एवं उच्च स्तर की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। ट्रेनों में आग बुझाने के यंत्र, आग और धूम्रपान डिटेक्टर, सीसीटीवी निगरानी प्रणाली और बाहरी कैमरे भी लगे हैं। 

SOURCE-DAINIK JAGRAN

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