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ट्रंप की वापसी से भारत को लाभ, कनाडा पर दबाव बढ़ेगा.

कनाडा और भारत के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बीच डोनाल्ड ट्रंप की वापसी जनवरी 2025 में अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में भारत के लिए सकारात्मक और कनाडा के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की ट्रंप से पुरानी खटास और उनके गैर-जिम्मेदाराना बयानों ने दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ाया है। कनाडा की डिप्टी पीएम क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने ट्रंप की जीत पर चिंता जताते हुए कहा कि “कनाडा की संप्रभुता सुरक्षित रहेगी, लेकिन हमें सतर्क रहना होगा।”

ट्रंप ने पहले ट्रूडो को “फार लेफ्ट लूनाटिक” और “दोहरे चेहरे वाला” कहा था। वहीं, ट्रूडो ने 2019 के नाटो शिखर सम्मेलन में ट्रंप की आलोचना की थी, जिससे उनके आपसी रिश्ते और खराब हो गए।

अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रंप के प्रस्तावित 10% आयात शुल्क से कनाडा की अर्थव्यवस्था को 2028 तक $7 बिलियन का नुकसान हो सकता है। वहीं, कनाडा की 75% निर्यात अमेरिका पर निर्भर है।

ट्रंप की कड़ी आव्रजन नीति से अमेरिका-कनाडा सीमा पर तनाव बढ़ सकता है। अमेरिकी सीमा अधिकारी टॉम होमैन ने कनाडा को “आतंकियों के प्रवेश का गेटवे” बताया।

भारत के लिए ट्रंप का राष्ट्रपति बनना अवसर बन सकता है। अमेरिका के नामित अधिकारी भारत को चीन के खिलाफ रणनीतिक सहयोगी मानते हैं। शलभ कुमार, ट्रंप के करीबी उद्योगपति, ने कहा कि “ट्रंप खालिस्तान समर्थकों पर सख्त कार्रवाई करेंगे।”

कनाडा के लिए ट्रंप की वापसी गंभीर चुनौती है। ट्रूडो की घटती लोकप्रियता और भारत के साथ बिगड़ते संबंध उनकी चुनावी संभावनाओं को कमजोर कर सकते हैं।

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार और रक्षा संबंधों में मजबूती की संभावना है। ट्रंप के भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत शुरू करने की भी संभावना है।

रूस-यूक्रेन विवाद पर भारत और ट्रंप का रुख समान है, जिससे अमेरिका-भारत संबंध और मजबूत होंगे।

कुल मिलाकर, ट्रंप की वापसी भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करेगी जबकि कनाडा पर दबाव बढ़ेगा।

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