
रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के दो दिवसीय केंद्रीय महाधिवेशन का आगाज़ सोमवार को रांची स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर प्रांगण में हुआ। मुख्यमंत्री और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन की अगुवाई में आयोजित इस महाधिवेशन में झामुमो ने गांव, गरीब, आदिवासी और वंचित समुदायों के अधिकारों की रक्षा का संकल्प दोहराया।
महाधिवेशन के पहले दिन पार्टी की ओर से 108 पन्नों की विस्तृत सांगठनिक रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें पिछले वर्षों की उपलब्धियों, संगठन की मजबूती और आने वाले समय की रणनीति को रेखांकित किया गया। रिपोर्ट में खास तौर पर ग्रामीण विकास, वन अधिकार, जल-जंगल-जमीन की सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य और अल्पसंख्यकों के अधिकारों जैसे मुद्दों को प्रमुखता से शामिल किया गया है।
महाधिवेशन में झारखंड के विभिन्न जिलों से आए प्रतिनिधियों के अलावा पड़ोसी राज्यों से भी पर्यवेक्षक शामिल हुए। अधिवेशन में सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर खुलकर चर्चा हो रही है। भूमि अधिग्रहण, बेरोजगारी, वक्फ संपत्तियों की लूट और राज्य में प्रशासनिक पारदर्शिता जैसे विषयों पर भी आवाज़ उठाई गई।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उद्घाटन भाषण में कहा कि झामुमो सिर्फ सत्ता का नहीं, संघर्ष और सिद्धांतों का प्रतीक है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी का उद्देश्य केवल सरकार चलाना नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और संविधान की मूल आत्मा को बचाए रखना है।
महाधिवेशन के दूसरे दिन पार्टी के विस्तार, संगठनात्मक ढांचे में बदलाव और आगामी चुनावों की रणनीति पर चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों को पारित किए जाने की संभावना है।
झामुमो का यह अधिवेशन पार्टी की दिशा, दृष्टि और दायरे को नया आकार देने वाला साबित हो सकता है।