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सीजीएल परीक्षा विवाद: जांच में पारदर्शिता पर सवाल.

झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) की सीजीएल परीक्षा को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है।

राज्यपाल के आदेश पर गठित जांच कमेटी में उन्हीं अधिकारियों को शामिल किया गया है जिनके खिलाफ छात्रों ने शिकायत दर्ज कराई है। इसने परीक्षा में पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

जांच कमेटी में विवादित अधिकारी

राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार के निर्देश के बाद जेएसएससी ने परीक्षा में अनियमितता की शिकायतों की जांच के लिए एक कमेटी गठित की है। लेकिन इस कमेटी में आयोग के सचिव सुधीर कुमार गुप्ता को अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि संयुक्त सचिव मधुमिता कुमारी और परीक्षा नियंत्रक अरविंद कुमार लाल को सदस्य बनाया गया है। इन सभी अधिकारियों के खिलाफ छात्रों ने शिकायतें दर्ज कराई थीं।

छात्रों को 30 सितंबर को बुलाया गया

आयोग के सचिव सुधीर कुमार गुप्ता ने छह छात्रों को 26 सितंबर को आयोग के समक्ष दी गई लिखित शिकायत के संबंध में अपना पक्ष रखने को कहा है। छात्रों को साक्ष्य के तौर पर एक सीडी, एक पेन ड्राइव और 54 पन्नों का दस्तावेज भी साथ लाना है।

पारदर्शिता पर सवाल

जांच कमेटी में विवादित अधिकारियों को शामिल करने से परीक्षा में पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। छात्रों का मानना है कि इस तरह की जांच में निष्पक्षता की उम्मीद करना मुश्किल है। छात्रों ने मांग की है कि जांच कमेटी में निष्पक्ष और स्वतंत्र सदस्यों को शामिल किया जाए।

क्या होगा आगे?

आयोग की ओर से जांच के बाद इस मामले में आगे का निर्णय लिया जाएगा। लेकिन छात्रों का कहना है कि उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद कम है। छात्रों ने इस मामले को लेकर सरकार और उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की धमकी दी है।

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