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रिलायंस ने स्टारलिंक के साथ नए संघर्ष में उपग्रह स्पेक्ट्रम नीलामी की मांग की .

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने भारत में उपग्रह स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए प्रशासनिक तरीके के बजाय नीलामी प्रक्रिया को अपनाने की मांग की है।

कंपनी का कहना है कि प्रशासनिक तरीके से स्पेक्ट्रम आवंटन करना किसी भी सरकारी संसाधन को आवंटित करने का सबसे भेदभावपूर्ण तरीका है।

क्यों है यह खबर महत्वपूर्ण?

यह खबर इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत में उपग्रह संचार उद्योग में एक नए युग की शुरुआत का संकेत देती है। रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसे बड़े खिलाड़ी इस क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं और वे चाहते हैं कि स्पेक्ट्रम आवंटन की प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष हो।

क्या है मामला?

भारत सरकार उपग्रह संचार के लिए स्पेक्ट्रम आवंटित करने की प्रक्रिया पर विचार कर रही है। इसी बीच, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने सरकार से स्पष्ट रूप से कहा है कि स्पेक्ट्रम की नीलामी ही सबसे उचित तरीका है। कंपनी का मानना है कि नीलामी से सभी कंपनियों को समान अवसर मिलेगा और यह सुनिश्चित होगा कि स्पेक्ट्रम का सबसे अधिक कुशल उपयोग किया जाए।

स्टारलिंक के साथ टकराव

रिलायंस इंडस्ट्रीज का यह कदम स्टारलिंक के साथ इसके प्रतिद्वंद्विता को और गहरा कर सकता है। स्टारलिंक इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स का एक उपक्रम है और यह भारत में उपग्रह इंटरनेट सेवाएं शुरू करने की योजना बना रही है। स्टारलिंक भी भारत में स्पेक्ट्रम आवंटन चाहता है।

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