Uncategorized

तेंदुआ, सांप, सियार… जानवरों को बचाने के लिए कुएं में कूद जाती है यह डॉक्‍टर, दीवारों से लगा देती है छलांग!

मेघना पेम्‍मैया पशुचिकित्‍सक हैं। वह कर्नाटक के मंगलुरु में रहती हैं। उन्‍हें पशुओं से बहुत ज्‍यादा प्‍यार है। पालतू के साथ ही उन्‍हें सियार, तेंदुए और सांप जैसे जंगली वन्‍यजीव भी प्‍यारे हैं। न जाने कितने पशुओं को बचाने में वह मदद कर चुकी हैं। इनके लिए वह बहुत ज्‍यादा समर्पित हैं। उनके समर्पण का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह इन्‍हें बचाने के लिए कुंए में कूद जाती हैं। दीवारों से छलांग लगा देती हैं। ऊंची इमारतों पर चढ़ जाती हैं। वह 8 तेंदुओं को बचा चुकी हैं। 32 साल की डॉ मेघना से कर्नाटक वन विभाग रेस्‍क्यू मिशन के लिए संपर्क करता है।

पिता पुलिस अधिकारी थे

बेंगलुरु में जन्मी मेघना को बहुत कम उम्र से ही जंगल के प्रति आकर्षण महसूस हुआ। वह हमेशा जानवरों से प्यार करती थीं। उनके पिता पुलिस अधिकारी थे। उनकी ट्रांसफर वाली नौकरी के कारण परिवार बहुत घूमता था। इससे उन्‍हें उन स्थानों के आसपास के वन्य जीवन से परिचित होने का मौका मिला जहां वह रहीं। बाद में वन्यजीव विज्ञान में मास्टर डिग्री करने के लिए मेघना बेंगलुरु चली गईं।

परिवार भी पशु-प्रेमी रहा

मेघना का परिवार पशु-प्रेमी था। इस कारण वह लगातार जानवरों से घिरी रहती थीं। इस परवरिश ने उन्‍हें एहसास दिलाया कि उनका भविष्य जानवरों की दुनिया से करीब से जुड़ा होगा। हालांकि, मेघना को नहीं पता था कि यह उन्‍हें उसी रास्ते पर ले जाया जाएगा जिस पर वह अभी चल रही हैं। अभी उनके पास में दो पालतू कुत्ते और कुछ बिल्लियां हैं। मेघना ही इनकी सबकुछ हैं। मास्टर्स के दौरान उन्‍हें पता चला था कि वन्यजीव पशुचिकित्सक नाम की भी कोई चीज होती है। उन्‍होंने नैटजीओ पर लोगों को बचाव अभियानों में देखा था। यह उन्‍हें हमेशा रोमांचित करता था। वह सही अवसर की तलाश में थीं। एक दिन उन्‍हें यह मौका मिल गया।

रेस्‍क्‍यू कंपनी से जुड़ गईं

अपनी डिग्री पूरी करने के बाद मेघना बेंगलुरु में रेस्‍क्‍यू कंपनी में शामिल हो गईं। उन्‍होंने पशुचिकित्सक के रूप में काम करना शुरू कर दिया। 2022 में वह अपने पति के साथ मंगलुरु चली गईं। पति का वहां एक क्लिनिक था। वह राज्य के वन विभाग की मदद कर रहे थे। इससे उन्‍हें जमीनी स्‍तर पर बचाव करने का मौका मिला। मेघना को जंगली जानवरों को बचाते हुए लगभग दो साल हो गए हैं। उन्होंने कई अभियानों में वन विभाग की सहायता की है। उन्होंने आठ तेंदुओं को बचाकर सुरक्षित घर पहुंचाया है।

​कुएं में कूदना और इमारत पर चढ़ना दिनचर्या का हिस्‍सा

24 घंटे की ड्यूटी पर यह वन्य जीवन के प्रति जुनून ही है जो मेघना को सक्रिय रखता है। वह ऐसे बचाव अभियानों का हिस्‍सा रही हैं जिसमें उनकी और जानवर दोनों की जान के लिए खतरा था। जब वह किसी मिशन पर जाती हैं तो जानवर हमेशा उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता होते हैं। अक्सर उन्‍हें तेंदुओं को बचाने का काम मिला है। मेघना के मुताबिक, वे भी इंसानों से उतना ही डरते हैं जितना इंसान उनसे।

मेघना जब किसी रेस्‍क्‍यू मिशन पर होती हैं, तो जानवर को बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालने से पहले एक सेकेंड भी नहीं सोचती हैं। हाल ही में एक खतरनाक लेकिन रोमांचकारी घटना में मेघना को दक्षिण कन्नड़ के निड्डोडी में 20 फीट गहरे कुएं में कई दिनों से फंसी एक मादा तेंदुए को बचाने के लिए कूदना पड़ा था। मेघना ने जानवर को अपनी देखरेख में लिया। उसकी चोटों की जांच की और उपचार दिया।

पशु-मानव संघर्ष नियमित निपटना

मेघना कहती हैं कि तेजी से शहरीकरण और शहरों और गांवों के विस्तार के कारण हमने उन जमीनों पर अतिक्रमण कर लिया है जो पशुओं की थीं। असली खतरा इंसान हैं। लोगों को यह समझने की जरूरत है। बहुत से जानवर और सांप जालों और कुओं में फंसे मिलते हैं। कारण है कि इंसानों ने उनका घर छीन लिया है। उनके पास जाने के लिए कोई जगह नहीं है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button